Friday, April 16, 2010

भगवान ने और एक पीले पत्ते को गिरा दिया
मौसा जी हमेशा के चले गए

पिछले छे महीनों में चार लोग दुनिया छोडके चलेगए
मौसाजी की मृत्यु तो उन के लिए एक प्रकार का relief  होगा.
लेकिन हमारे लिए यह नष्ट ही है

हिन्ढी में मेरी पहली कोशिश.

2 comments:

  1. चित्थप्पा का निधन एक बड़ा काली श्तल को छोड़ा है.|
    उन्होंने कई विषयों पर अपनी निपुनथा का प्रकटन किया है |
    तामिल साहित्य पर उसका बड़ा अधिकार था |
    काले चश्मे पहनकर वे पैदल चल पड़ेंगे थो , उनका पीछा करना बहुत मुश्किल रहता था |
    हमारे पिताजी का बहुत प्यारा भैया थे वें |
    मेरे chess केल का गुरु थे |
    बहुत मुश्किलों को पार कर अपने बच्चों को इस समाज में बड़ा स्थान दिया है |
    अपने शारीरिक हिमसावों से उनका छुटकारा मिला है |
    भगवान से प्रार्थना करेंगे की मणि और लता को यह दुख सहने का बल दें |

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  2. हाँ. तुम लोगोंने ठीक कहा है I पिछले पीडी के लोगों में जैसा प्रेम था, वैसा आजकल कहाँ देखने को मिल्ता है? कितना कुछ हो गया कुछ ही महीनों में! मृत्यु से कोई भी बच नहीं सकता I उसकी ज़रूरत भी नहीं है I जो लोग चले जाते हैं, उनकी याद तो सताती ही रहती है I आप दोनोंको मौसी और मौसाजी से मुझसे ज़्यादा निकटता है I आप लोगों की ब्लाग पड़ने के बाद मैं महसूस कर रही हूँ की मैंने जितना खोया है I हाँ. मुझे भी मौसाजी पर बहुत गर्व था I मौसी की मृत्यु के बाद जब हम श्रीरंगम गए, तब मौसाजी को देखकर ही ज्यादा दुःख हुवा I उनकी बातों को सुनकर हमें भी तमिल पर ज्यादा प्रेम होने लगा I जो लोग इस दुनियां में रहकर चले गए, उन्होंने उसको पहले से अच्छा जगह बनाया है I उनके जीवन में कई कठिनायियाँ थीं I लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं माना I हमारा जीवन कैसा है , यह तो हम नहीं कह सकते I हमारे बच्चे ही उसे judge कर सकते हैं I
    अम्मा, मौसी और मौसा की मृत्यु दुखदायक ही तो है I लेकिन, उसके बाद ही हमने लिखना शुरू किया है Iयह कैसी विडम्बना है, चिक्कप्पा तो तमिल के विद्वान थे I उनके निधन पर गीता ने जो लिखा, वह हिंदी में है I आप दोनों ने लिखा. मैंने तो सिर्फ comment किया है I लता और मणि ने खूब अपने मांबाप की सेवा की है. भगवान उनको साहस दे और सारा मंगल दे!
    रमा

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